Jhansi News:
झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हुए भीषण अग्निकांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हृदयविदारक हादसे में नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (NICU) में आग लगने से 10 मासूम बच्चों की मौत हो गई और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। इस दर्दनाक घटना ने न केवल सरकारी व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े किए बल्कि अस्पताल प्रशासन की लापरवाही भी उजागर की।
घटना के पीछे कारण और प्रशासनिक खामियां:
घटनास्थल की जांच में यह पाया गया कि वहां कई सिलेंडर एक्सपायरी डेट के थे, जो गंभीर सुरक्षा उल्लंघन का संकेत है। ऐसी स्थिति में ऑक्सीजन सिलेंडर की जाँच नियमित रूप से होनी चाहिए थी, परन्तु प्रशासनिक लापरवाही के कारण इनकी समय पर जाँच नहीं हो पाई। इसके अलावा, नर्सिंग स्टाफ द्वारा आग लगने के समय बच्चों को बचाने में तत्परता दिखाई गई, लेकिन प्रारंभिक प्रतिक्रिया में थोड़ी देर होने से हताहतों की संख्या बढ़ गई
सरकार द्वारा गठित कमेटियाँ और कार्रवाई:
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और तुरंत उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए। सरकार ने दो कमेटियों का गठन किया है:
तकनीकी जांच कमेटी:
इसका उद्देश्य आग लगने के कारणों की तकनीकी जांच करना और यह पता लगाना है कि आग कैसे और क्यों लगी।
प्रशासनिक कमेटी:
इस कमेटी का काम प्रशासनिक लापरवाही की पहचान करना और दोषियों को जिम्मेदार ठहराना है। इसमें राज्य के प्रमुख स्वास्थ्य अधिकारी भी शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि घटना की रिपोर्ट 12 घंटे के भीतर सौंपी जाए और इस दौरान किसी भी लापरवाही को अनदेखा न किया जाए
मुआवजे की घोषणा:
सरकार ने प्रत्येक मृतक बच्चे के परिजनों को 5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। इसके साथ ही गंभीर रूप से घायल बच्चों के इलाज का पूरा खर्चा सरकार वहन करेगी। इस मुआवजे की घोषणा से प्रभावित परिवारों को कुछ राहत मिलेगी, लेकिन यह त्रासदी की भरपाई नहीं कर सकती।
इस हादसे पर विभिन्न नेताओं ने शोक व्यक्त किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना को अत्यंत दुखद और हृदयविदारक बताया। उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक, जो स्वास्थ्य मंत्री भी हैं, ने घटनास्थल का दौरा किया और जांच की निगरानी की। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी सोशल मीडिया पर शोक संवेदना व्यक्त की और सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की।
यह घटना उन माता-पिताओं के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं थी, जिन्होंने अपने नवजात शिशुओं को बचाने की उम्मीद में अस्पताल में भर्ती किया था। कई माता-पिता ने अपने बच्चों को खोने का दर्द झेला, जबकि वे केवल कुछ दिन के थे। अस्पताल में एक माँ ने अपने नवजात को खोने के बाद कहा, “मेरा बच्चा मेरी आँखों के सामने जल गया, मैं कुछ नहीं कर सकी।” यह बयान पूरे हादसे की हृदयविदारक स्थिति को बयां करता है और हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार कितना आवश्यक है।
इस हादसे ने एक बार फिर सरकारी अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। यह जरूरी है कि स्वास्थ्य संस्थानों में सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन किया जाए और आग जैसी आपदाओं से निपटने के लिए प्रभावी उपाय किए जाएं। सरकार द्वारा त्वरित जांच की पहल और मुआवजे की घोषणा सराहनीय है, लेकिन यह घटना हमें यह याद दिलाती है कि सुरक्षा के प्रति लापरवाही की कीमत मासूम जानें चुकाती हैं।
यह हादसा हम सबके लिए एक चेतावनी है कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और सुरक्षा मानकों का सख्त अनुपालन न केवल एक आवश्यकता है, बल्कि एक जिम्मेदारी भी है, ताकि भविष्य में ऐसे हादसों से बचा जा सके।
रिपोर्ट-स्नेह कुमार सिंह कुशवाहा।