Bareilly News:
शिक्षकों का शांतिपूर्ण विरोध: काली पट्टी बांधकर कर रहे मूल्यांकन, सरकार से मांगा न्याय
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बरेली। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (शर्मा गुट) के प्रांतीय नेतृत्व के आह्वान पर 19 मार्च से शिक्षक अपनी विभिन्न मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार द्वारा उनकी मांगों को अनदेखा करने के विरोध में बरेली के विभिन्न मूल्यांकन केंद्रों पर शिक्षक काली पट्टी बांधकर बोर्ड परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कर रहे हैं। हालाँकि, छात्र हित को ध्यान में रखते हुए उन्होंने मूल्यांकन कार्य नहीं रोका, लेकिन अपनी आवाज बुलंद करने के लिए अनूठे तरीके से विरोध जारी रखा।

शिक्षकों की प्रमुख मांगें-
बरेली में आयोजित उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (शर्मा गुट) की जिला कार्यकारिणी बैठक में शिक्षकों ने सरकार से अपनी मांगों को लेकर चर्चा की। इस बैठक की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष नवनीत कुमार शर्मा ने की। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि शिक्षकों की प्रमुख मांगें पूरी न होने तक वे काली पट्टी बांधकर अपना विरोध जारी रखेंगे। उनकी मुख्य मांगें इस प्रकार हैं—

धारा 12, 18 और 21 की पुनर्बहाली।
पुरानी पेंशन योजना लागू करना।
शिक्षकों के लिए निःशुल्क चिकित्सा सुविधा।
वित्तविहीन शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन।
मण्डलीय मंत्री डॉ. नरेश सिंह ने बताया कि धारा 12, 18 और 21 के निलंबन के कारण शिक्षकों की पदोन्नति और प्रधानाचार्यों की तदर्थ नियुक्तियाँ रुकी हुई हैं, जिससे विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो रही है। इसके अलावा, शिक्षकों को गैर-कानूनी तरीके से बर्खास्त किया जा रहा है, जिसे शिक्षक समुदाय किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा।

उन्होंने कहा, “पुरानी पेंशन और निःशुल्क चिकित्सा सुविधा के अभाव में शिक्षक आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान हैं। सरकार ने हमें दो महीने का समय दिया था, लेकिन हमारी मांगें अभी तक पूरी नहीं हुई हैं। यदि जल्द ही कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो प्रदेश स्तर पर एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा।”

शिक्षकों से अपील-
जिला मंत्री मुन्नेश अग्निहोत्री ने सभी शिक्षकों से अधिक से अधिक संख्या में काली पट्टी बांधकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रकट करने की अपील की। उन्होंने कहा कि शिक्षक समुदाय की एकता ही उनकी ताकत है और जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होतीं, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।
शिक्षकों की यह शांतिपूर्ण पहल न केवल उनके अधिकारों की लड़ाई को दर्शाती है, बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि वे अपनी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हट रहे हैं। अब देखना होगा कि सरकार इस विरोध पर क्या रुख अपनाती है और शिक्षकों की मांगों पर क्या निर्णय लेती है।
रिपोर्ट- डॉ स्नेह कुमार सिंह कुशवाहा।