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Bareilly News: पत्रकार हत्या पर उबाल: मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी और मुआवजे की मांग, हरिद्वार सम्मेलन में भी गूंजा मुद्दा, उपजा प्रेस क्लब ने परिवार को दो करोड़ मुआवजे और पत्नी को सरकारी नौकरी देने की उठाई मांग

Bareilly News:
पत्रकार हत्या पर उबाल: मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी और मुआवजे की मांग,
हरिद्वार सम्मेलन में भी गूंजा मुद्दा, उपजा प्रेस क्लब ने परिवार को दो करोड़ मुआवजे और पत्नी को सरकारी नौकरी देने की उठाई मांग

Bareilly News:
बरेली-दैनिक जागरण के पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई की निर्मम हत्या ने पूरे पत्रकार जगत को झकझोर दिया है। इस हत्याकांड को लेकर बरेली में उपजा प्रेस क्लब ने शोक सभा आयोजित कर गहरी संवेदना व्यक्त की और उत्तर प्रदेश सरकार से पत्रकार सुरक्षा कानून बनाए जाने की पुरजोर मांग की।

पत्रकारों ने इस घटना पर आक्रोश जताते हुए हत्यारों की जल्द गिरफ्तारी और मास्टरमाइंड का पर्दाफाश करने की मांग की। इसके अलावा, परिवार को दो करोड़ रुपये का मुआवजा देने और पीड़ित की पत्नी को सरकारी नौकरी देने की भी मांग उठाई गई।

हरिद्वार सम्मेलन में भी उठा मुद्दा-

इस बीच, हरिद्वार में चल रहे एनयूजे (NUJ) के राष्ट्रीय सम्मेलन में भी इस हत्याकांड को प्रमुखता से उठाया गया। उपजा प्रेस क्लब के अध्यक्ष डॉ. पवन सक्सेना ने कहा कि यह घटना पत्रकारिता जगत के लिए एक गंभीर चुनौती है और सरकार को इस पर तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा,
“पत्रकारिता दुनिया के दस सबसे खतरनाक पेशों में से एक है, सरकार को अब पत्रकार सुरक्षा कानून पर गंभीरता से विचार करना होगा।”

बरेली में पत्रकारों की शोकसभा, कार्रवाई की मांग-

उपजा प्रेस क्लब, बरेली में आयोजित शोकसभा में बड़ी संख्या में पत्रकारों ने भाग लिया। सभा का संचालन महामंत्री मुकेश तिवारी ने किया। वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र अटल, अनूप मिश्रा, जनार्दन आचार्य, निर्भय सक्सेना, अजय मिश्रा, शुभम ठाकुर, सुयोग्य सिंह, अशोक शर्मा, पुत्तन सक्सेना, विजय सिंह, प्रदीप सक्सेना, संजीव यादव, दीपक कुमार, इमरान खान, मोहम्मद शमी, नाजिया अंजुम, शिव शर्मा सहित कई पत्रकारों ने अपने विचार रखे।

दिवंगत पत्रकार(फ़ाइल फोटो)

सभी पत्रकारों ने दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत पत्रकार को श्रद्धांजलि दी और सरकार से दोषियों को जल्द पकड़ने की मांग की।

पत्रकारों की कलम पर हो रहे हमले –
एक सोचने का विषय
पत्रकारों पर हो रहे लगातार हमले यह दर्शाते हैं कि सत्य लिखना अब आसान नहीं रहा। ऐसे माहौल में सरकार को पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।

“चंद लफ्ज़ों में हकीकत बयां कर गया,
सच की राह में वो कुर्बां हो गया।
कलम की रोशनी बुझा दी गई,
पर हौसलों का सूरज फिर भी उगा रहेगा।”

➡ क्या सरकार पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस कदम उठाएगी? यह एक बड़ा सवाल है, जिसका जवाब हर पत्रकार और नागरिक को चाहिए।

रिपोर्ट-डॉ स्नेह कुमार सिंह कुशवाहा।

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