Homeस्नेह कुमार सिंह कुशवाहास्वामी विवेकानंद: एक महान आध्यात्मिक विचारक एवं वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में प्रासंगिकता

स्वामी विवेकानंद: एक महान आध्यात्मिक विचारक एवं वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में प्रासंगिकता

स्वामी विवेकानंद: एक महान आध्यात्मिक विचारक एवं वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में प्रासंगिकता


स्वामी विवेकानंद भारतीय समाज और विश्व इतिहास में एक ऐसे अद्वितीय व्यक्तित्व के रूप में उभरे, जिन्होंने न केवल आध्यात्मिकता और मानवता का संदेश दिया, बल्कि सामाजिक सुधारों के प्रति जनमानस को जागरूक भी किया। उनका जीवन और दर्शन आज भी प्रेरणा के स्रोत हैं। उन्होंने न केवल भारतीय परंपराओं और मूल्यों को विश्व पटल पर पुनर्स्थापित किया, बल्कि अंधविश्वास, पाखंड और कुरीतियों का डटकर विरोध भी किया।

स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय-

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता के एक पारंपरिक बंगाली परिवार में हुआ। उनका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। बचपन से ही उनकी बौद्धिक क्षमता और आध्यात्मिक रुचि अद्भुत थी। रामकृष्ण परमहंस के मार्गदर्शन में उन्होंने आत्मज्ञान प्राप्त किया। उन्होंने मानवता की सेवा को ही धर्म का सबसे बड़ा कर्तव्य माना।

शिकागो धर्म महासभा और उनका ऐतिहासिक भाषण-

1893 में स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में विश्व धर्म महासभा में भाग लिया। सम्मेलन में उन्हें शुरुआती दौर में भाषण देने का अवसर नहीं दिया गया। पश्चिमी समाज ने उन्हें शुरुआत में मात्र एक साधारण भारतीय संत समझकर उपेक्षित किया। लेकिन विवेकानंद ने धैर्य और आत्मविश्वास बनाए रखा।

11 सितंबर 1893 को जब उन्हें बोलने का मौका मिला, तो उन्होंने अपने पहले ही वाक्य “भाइयों और बहनों” से पूरे सभागार को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके इस संबोधन ने पश्चिमी श्रोताओं के दिलों में भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता के प्रति सम्मान पैदा किया।

अपने भाषण में उन्होंने कहा:
“मैं उस धर्म का प्रतिनिधित्व करता हूं जिसने दुनिया को सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है। हम केवल सभी धर्मों को सहन ही नहीं करते, बल्कि सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं।”
उनके विचार, शब्दों की गहराई और भारतीय दर्शन की उदारता ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया।

शिकागो धर्म सम्मेलन के बाद, स्वामी विवेकानंद को अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई और उन्होंने भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का विश्व में प्रचार-प्रसार किया।

कुरीतियों और पाखंडवाद का विरोध-

स्वामी विवेकानंद ने भारतीय समाज में व्याप्त कुरीतियों और अंधविश्वासों के खिलाफ आवाज उठाई। वे जातिवाद, छुआछूत और महिलाओं की सामाजिक दुर्दशा के विरोधी थे। उनका कहना था कि धर्म का उद्देश्य समाज को बंधनों से मुक्त करना है, न कि उसे और अधिक जकड़ना।

एक प्रेरणादायक कहानी: “डर पर विजय”-

एक बार स्वामी विवेकानंद बनारस में घूम रहे थे। रास्ते में बंदरों का एक झुंड उनके पीछे पड़ गया। वे तेजी से भागने लगे, लेकिन बंदरों ने उनका पीछा करना जारी रखा। तभी पास के एक बुजुर्ग ने उन्हें चिल्लाकर कहा, “रुको! भागो मत, उनका सामना करो!”

स्वामी विवेकानंद तुरंत रुक गए और बंदरों की ओर पलटकर खड़े हो गए। उन्होंने बंदरों की ओर बढ़ना शुरू किया। यह देखकर बंदर डरकर भाग गए।

इस घटना ने उन्हें जीवन का एक बड़ा सबक सिखाया। बाद में उन्होंने कहा, “डर भागने से कभी समाप्त नहीं होता। उसका सामना करने से ही डर खत्म होता है।”

यह घटना युवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश देती है कि जीवन की कठिनाइयों और चुनौतियों से भागने की बजाय,उनका सामना करना ही सच्ची विजय है।

वर्तमान विश्व में स्वामी विवेकानंद की प्रासंगिकता-

आज,जब पूरी दुनिया सामाजिक, आर्थिक और नैतिक चुनौतियों से जूझ रही है,स्वामी विवेकानंद के विचार पहले से भी अधिक प्रासंगिक हो गए हैं।

मानवता का संदेश-

उन्होंने “वसुधैव कुटुंबकम्” (संपूर्ण विश्व एक परिवार है) का संदेश दिया। आज के समय में यह विचार विश्व शांति और एकता के लिए मार्गदर्शक है।

युवा शक्ति को प्रेरणा-

उनका प्रसिद्ध कथन, “उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए,” आज भी युवाओं को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनने के लिए प्रेरित करता है।

धर्म और विज्ञान का सामंजस्य-

स्वामी विवेकानंद का दृष्टिकोण विज्ञान और आध्यात्मिकता को संतुलित करने का था। उनके विचार तकनीकी प्रगति को नैतिक मूल्यों के साथ जोड़ने में सहायक हो सकते हैं।

महिला सशक्तिकरण-

विवेकानंद ने कहा था, “किसी भी समाज की प्रगति उसकी महिलाओं की स्थिति से मापी जा सकती है।” आज के समय में महिलाओं के अधिकारों और समानता के लिए उनके विचार प्रेरणादायक हैं।

धार्मिक सहिष्णुता-

उन्होंने कहा था, “सभी धर्म सत्य तक पहुंचने के अलग-अलग मार्ग हैं।” यह विचार आज के समय में धार्मिक असहिष्णुता और संघर्षों को कम करने में सहायक हो सकता है।


स्वामी विवेकानंद का जीवन और दर्शन केवल भारतीय समाज के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। शिकागो धर्म महासभा में उनके विचारों ने जहां भारत की गरिमा को बढ़ाया, वहीं उनके जीवन की घटनाओं ने साहस, सहिष्णुता और मानवता के मूल्यों को स्थापित किया।

आज जब सारी दुनिया बारूद के ढेर पर बैठी नजर आती है
और जब सम्पूर्ण विश्व अराजकता,असमानता और नैतिक पतन से जूझ रहा है, तो ऐसी परिस्थितियों में विवेकानंद के विचार और शिक्षाएं हमें समस्याओं का समाधान ढूंढने और एक बेहतर समाज का निर्माण करने के लिए प्रेरित कर सकती हैं।उनकी विरासत और अनमोल विचार सदैव हमारे मार्गदर्शन के लिए अमर रहेंगे।

लेखक-डॉ स्नेह कुमार सिंह कुशवाहा।

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