ईरान द्वारा इजरायल पर सीधा हमला करना, महायुद्ध की संभावना को बढ़ावा देता है, जो दुनिया के लिए चिंता और दुःख का विषय है। मौजूदा तनाव चरम पर है, क्योंकि इजरायल कभी भी ईरान पर पलटवार कर सकता है। पिछले एक साल से ईरान ने संयम दिखाने का प्रयास किया था, लेकिन उसने हिज़्बुल्लाह जैसे आतंकी संगठनों को समर्थन देना जारी रखा। मंगलवार को 180 मिसाइलें दागकर ईरान ने स्पष्ट संदेश दिया है कि वह अब पीछे नहीं हटेगा। खासतौर पर नसरल्लाह की मौत के बाद ईरान पर सीधे युद्ध में शामिल होने का दबाव बढ़ गया था। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी चेतावनी दी है कि ईरान को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
इजरायल की समस्या यह है कि वह बदले की भावना से प्रेरित है और किसी भी सलाह को मानने को तैयार नहीं है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव की अपील का भी उस पर कोई असर नहीं हो रहा है। अमेरिका से मिल रहे समर्थन ने उसे आत्मविश्वासी बना दिया है। ऐसे में महायुद्ध की संभावना बढ़ रही है। सवाल उठता है कि क्या इजरायल और ईरान जैसे देश महायुद्ध चाहते हैं? अधिकांश लोग युद्ध नहीं चाहते और देशों को भी इसका एहसास है। इसलिए वे आक्रामकता दिखाने के बावजूद संयम बरतने का प्रयास कर रहे हैं।
ईरान का कहना है कि उसका हमला पूरी तरह रक्षात्मक था और वह लेबनान में इजरायल द्वारा की गई हिंसाओं का जवाब दे रहा था। ईरान मानता है कि उसने 180 मिसाइलें दागकर हिसाब बराबर कर लिया है और अब वह तब तक और कार्रवाई नहीं करेगा, जब तक इजरायल उसे फिर से उकसाता नहीं है। अगर इजरायल ने फिर हमला किया तो स्थिति और बिगड़ सकती है, और महायुद्ध की संभावना प्रबल हो जाएगी। परमाणु युद्ध की आशंका को नजरअंदाज करना मुश्किल है और आज दुनिया ऐसी स्थिति में नहीं है कि इसे झेल सके।
अब समय है शांति की अपील करने का, न कि हमलावरों का समर्थन करने का। संयुक्त राष्ट्र की सक्रियता आवश्यक है ताकि दुनिया युद्ध की वास्तविकता से अवगत हो सके। आज सूचना का नियंत्रण दोनों पक्षों में है, जो स्थिति को और गंभीर बना सकता है। ऐसे दौर में सही सूचनाओं तक पहुंच मुश्किल हो सकती है, जो दुनिया के लिए और भी खतरनाक है।
गाजा से लेकर कीव तक युद्धों में रोज सैकड़ों लोग मारे जा रहे हैं। इजरायल ने मंगलवार को लेबनान पर भी हमले किए, जिसमें 55 लोगों की जान चली गई। किसी तरह इजरायल को शांति की ओर ले जाना होगा और अरब देशों को आतंकवादी संगठनों के समर्थन से दूर रहना होगा। हमास और हिजबुल्लाह जैसी संगठनों की गतिविधियों ने दुनिया को खतरे में डाल दिया है। इजरायल का सकारात्मक योगदान दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन उसकी आक्रामकता पर नियंत्रण रखना जरूरी है। इस महायुद्ध को रोकने के लिए भारत और चीन और अमेरिका को आगे आकर शांति की पहल करनी चाहिए।
डॉ-स्नेह कुमार सिंह कुशवाहा।