Homeस्नेह कुमार सिंह कुशवाहानवरात्रि का प्रथम दिन-माँ शैलपुत्री की पूजा विधि,कलश स्थापना, भोग, शुभ रंग...

नवरात्रि का प्रथम दिन-माँ शैलपुत्री की पूजा विधि,कलश स्थापना, भोग, शुभ रंग और कथा

नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री की पूजा का दिन होता है। मां शैलपुत्री देवी दुर्गा का पहला रूप हैं, जिन्हें हिमालय की पुत्री माना जाता है। इस दिन कलश स्थापना भी की जाती है जो नवरात्रि के प्रारंभ का प्रतीक है। घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त का चुनाव करना महत्वपूर्ण होता है। घटस्थापना के लिए साफ मिट्टी के बर्तन में जौ बोकर उसमें पानी भरकर कलश स्थापित किया जाता है और उस पर नारियल रखा जाता है।

पूजा विधि-
प्रातः स्नान कर के स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजन स्थल पर मां शैलपुत्री की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त का पालन करें।
मां शैलपुत्री की आराधना में गंगा जल, रोली, अक्षत, पुष्प, धूप-दीप का उपयोग करें।
मां को सफेद फूल और भोग में गाय का घी अर्पित करें।
मां का ध्यान कर शैलपुत्री देवी के मंत्र का जाप करें – “ॐ शैलपुत्र्यै नमः”।
भोग-
मां शैलपुत्री को घी का भोग लगाना शुभ माना जाता है। इससे भक्तों को अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

शुभ रंग-
नवरात्रि के पहले दिन सफेद रंग को शुभ माना जाता है, जो शांति और पवित्रता का प्रतीक है।

कथा-
मां शैलपुत्री का जन्म राजा हिमालय के घर हुआ था, इसलिए उन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। पिछले जन्म में ये सती के रूप में प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं। जब दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया, तो सती ने यज्ञकुंड में अपने प्राण त्याग दिए। अगले जन्म में वे शैलपुत्री के रूप में उत्पन्न हुईं और पुनः भगवान शिव से विवाह किया। मां शैलपुत्री की आराधना से जीवन में स्थिरता और शांति का आशीर्वाद मिलता है।

इस प्रकार नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करके भक्त उनके आशीर्वाद और शक्ति की प्राप्ति करते हैं।

RELATED ARTICLES

Most Popular