(गाँधी जयन्ती विशेष )
महात्मा गांधी,भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य प्रणेता,सत्य, अहिंसा एवं मानवता के प्रतीके थे,उन्होंने अपने जीवन और कार्यों के माध्यम से मानवतावादी दृष्टिकोण का अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। उनका मानवतावादी दर्शन संपूर्ण मानवता की सेवा, सामाजिक न्याय,और नैतिक मूल्यों के प्रति समर्पण पर आधारित था। वर्तमान विश्व में भी गांधी के दर्शन की प्रासंगिकता अत्यंत महत्वपूर्ण है, जहां हिंसा,असमानता और नैतिक पतन की समस्याएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं।
*गांधी का मानवतावादी दर्शन*
महात्मा गांधी का मानवतावादी दृष्टिकोण उनकी अहिंसा, सत्याग्रह, सर्वधर्म समभाव और गरीबों के कल्याण के सिद्धांतों में निहित था। गांधी जी का मानना था कि सभी मनुष्य समान हैं और उन्हें समान अवसर एवं सम्मान मिलना चाहिए। उनका मानवतावाद न केवल मानव जाति के प्रति उनकी करुणा में झलकता है बल्कि उनके द्वारा किए गए कार्यों में भी स्पष्ट दिखाई देता है।
*अहिंसा और सत्याग्रह*
गांधी का अहिंसा का सिद्धांत मानवता की गरिमा और अधिकारों की सुरक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उनका मानना था कि किसी भी प्रकार की हिंसा से न केवल मानवता का अपमान होता है,बल्कि यह समस्याओं का दीर्घकालिक समाधान नहीं होता। उन्होंने सत्याग्रह को एक साधन के रूप में प्रस्तुत किया, जिसमें सत्य और अहिंसा के माध्यम से अन्याय का विरोध किया जा सके। 1930 का दांडी मार्च और 1942 का “भारत छोड़ो आंदोलन” गांधी के सत्याग्रह के सर्वोत्तम उदाहरण हैं, जहां उन्होंने अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए लोगों को स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।
*सर्वधर्म समभाव*
गांधी ने सभी धर्मों का सम्मान किया और ‘सर्वधर्म समभाव’ का सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसका अर्थ है कि सभी धर्म समान हैं और सभी को एक-दूसरे के धार्मिक विचारों का आदर करना चाहिए। उन्होंने विभिन्न धर्मों के बीच संवाद और समझ विकसित करने पर जोर दिया। वे मानते थे कि सभी धर्मों का मूल उद्देश्य मानवता की सेवा करना है। वर्तमान में जब धार्मिक कट्टरता और साम्प्रदायिक संघर्ष बढ़ रहे हैं, गांधी का सर्वधर्म समभाव सिद्धांत हमें सहिष्णुता और भाईचारे का महत्व समझने में मदद करता है।
*गरीबों के प्रति संवेदनशीलता*
गांधी का मानवतावादी दृष्टिकोण गरीबों और वंचितों के कल्याण के प्रति उनकी संवेदनशीलता में भी प्रकट होता है। उनका प्रसिद्ध कथन था, “मैं भारत की उस स्वतंत्रता में विश्वास करता हूँ जिसमें गरीब से गरीब व्यक्ति भी महसूस करे कि यह उसका देश है।” उन्होंने ‘स्वराज’ की कल्पना केवल राजनीतिक स्वतंत्रता के रूप में नहीं, बल्कि आर्थिक और सामाजिक न्याय के रूप में भी की थी। चंपारण सत्याग्रह और खेड़ा आंदोलन में गांधी ने किसानों और गरीबों की समस्याओं को समझकर उनकी सहायता की और उनकी स्थितियों में सुधार लाने के लिए संघर्ष किया।
*सत्य और नैतिकता*
गांधी का मानना था कि समाज का आधार सत्य और नैतिकता होना चाहिए। उन्होंने हमेशा व्यक्तिगत जीवन में सत्य और नैतिक मूल्यों को उच्च स्थान दिया। उनके अनुसार, कोई भी समाज तब तक सशक्त नहीं हो सकता जब तक वह नैतिक मूल्यों और सत्य को नहीं अपनाता। उनका जीवन स्वयं एक उदाहरण था कि कैसे सत्य की राह पर चलते हुए समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है।
*वर्तमान विश्व में गांधी दर्शन की प्रासंगिकता*
गांधी का दर्शन आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उनके समय में था। वर्तमान समय में जब हम वैश्विक समस्याओं, जैसे हिंसा, असमानता, पर्यावरण संकट, और सामाजिक विभाजन से जूझ रहे हैं, गांधी का मानवतावादी दृष्टिकोण हमें इन चुनौतियों से निपटने के लिए मार्गदर्शन प्रदान कर सकता है।
*अहिंसा का महत्व*
आज विश्व में बढ़ती हिंसा, आतंकवाद और संघर्ष के समय गांधी के अहिंसा के सिद्धांत को अपनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनकी अहिंसा की शिक्षा केवल शारीरिक हिंसा से बचने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें मानसिक और भावनात्मक हिंसा से भी बचना शामिल है। गांधी का संदेश है कि समाज में शांति और सद्भाव तभी स्थापित हो सकते हैं जब हम अपनी सोच और क्रियाओं में अहिंसा को स्थान दें।
*सामाजिक समानता और न्याय*
गांधी का यह मानना था कि किसी भी समाज की प्रगति तभी संभव है जब सभी वर्गों को समान अवसर मिलें। आज जब हम सामाजिक असमानता, लिंग भेदभाव और जातिगत भेदभाव से जूझ रहे हैं, गांधी के समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांत हमारे लिए प्रेरणा स्रोत बन सकते हैं। गांधी का दृष्टिकोण था कि कमजोर और वंचित वर्गों की उन्नति के बिना सच्ची प्रगति संभव नहीं है। वर्तमान समय में सामाजिक न्याय के आंदोलनों में गांधी के विचारों की झलक देखी जा सकती है।
*पर्यावरण संरक्षण*
गांधी का ‘सादा जीवन उच्च विचार’ का सिद्धांत पर्यावरण संकट से निपटने के लिए महत्वपूर्ण है। उनका मानना था कि हमें अपनी आवश्यकताओं को सीमित रखना चाहिए ताकि प्राकृतिक संसाधनों का संतुलन बना रहे। आज के उपभोक्तावादी समाज में जहां संसाधनों का अत्यधिक दोहन हो रहा है, गांधी का विचार हमें स्थायी विकास की दिशा में सोचने के लिए प्रेरित करता है।
*सर्वधर्म समभाव और धार्मिक सहिष्णुता*
गांधी के सर्वधर्म समभाव के सिद्धांत की प्रासंगिकता आज और भी बढ़ गई है, जब धार्मिक कट्टरता और असहिष्णुता बढ़ रही है। गांधी का दृष्टिकोण हमें यह सिखाता है कि विभिन्न धार्मिक विचारों का सम्मान करते हुए हम एक शांतिपूर्ण और समृद्ध समाज की स्थापना कर सकते हैं। उन्होंने धार्मिक सहिष्णुता को मानवता के लिए आवश्यक बताया और इसे शांति और सद्भाव का आधार माना।
*स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता*
गांधी का स्वदेशी और स्वावलंबन का सिद्धांत आज के वैश्वीकरण और आर्थिक असमानता के दौर में विशेष रूप से प्रासंगिक है। उनका मानना था कि हर व्यक्ति और हर गांव को आत्मनिर्भर होना चाहिए। कोविड-19 महामारी के बाद आत्मनिर्भरता का महत्व और भी बढ़ गया है, और कई देश अपनी आर्थिक नीति में आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दे रहे हैं। गांधी का ‘खादी’ आंदोलन और ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा देने का प्रयास हमें स्थानीय स्तर पर आर्थिक विकास के लिए प्रेरित करता है।
*मानवाधिकार और समानता*
गांधी का मानना था कि प्रत्येक व्यक्ति को समान अधिकार मिलना चाहिए, चाहे उसकी जाति, धर्म, लिंग, या सामाजिक स्थिति कोई भी हो। आज जब हम दुनिया भर में मानवाधिकारों के उल्लंघन और असमानता के मुद्दों से जूझ रहे हैं, गांधी के विचार हमें यह समझने में मदद करते हैं कि सच्ची स्वतंत्रता और समानता तभी संभव है जब सभी मनुष्यों को उनके अधिकार मिले और उन्हें सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अवसर प्राप्त हो।
महात्मा गांधी का मानवतावादी दर्शन आज भी संपूर्ण विश्व के लिए प्रेरणा स्रोत है। उनके विचार, उनके सिद्धांत और उनका जीवन मानवता के कल्याण की दिशा में समर्पित था। आज जब हम विविध चुनौतियों से जूझ रहे हैं, गांधी का दर्शन हमें न केवल समस्याओं से निपटने का मार्ग दिखाता है, बल्कि एक बेहतर, शांतिपूर्ण और न्यायपूर्ण समाज की स्थापना की दिशा में हमें प्रेरित भी करता है। अहिंसा, सत्य, सामाजिक समानता, धार्मिक सहिष्णुता, और पर्यावरण संरक्षण के उनके सिद्धांत आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके समय में थे। उनके विचारों का अनुसरण करके हम एक ऐसी दुनिया की कल्पना कर सकते हैं, जहां हर व्यक्ति को समानता, सम्मान और स्वतंत्रता प्राप्त हो। वर्तमान परिदृश्य में वैश्विक शांति गांधी दर्शन से ही स्थापित हो सकती है।
लेखक-डॉ स्नेह कुमार सिंह कुशवाहा।