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मधुमेह रोगियों में हृदयाघात का खतरा: हर चार में से एक मरीज जोखिम में

नई दिल्ली, एजेंसी। मधुमेह से ग्रस्त हर चार में से एक मरीज हृदयाघात की चपेट में आ सकता है। नए अध्ययन के अनुसार, सामान्य व्यक्तियों की तुलना में मधुमेह रोगियों को हृदयाघात का खतरा चार गुना अधिक होता है। यह अध्ययन मुंबई और दिल्ली-एनसीआर में स्थित दो प्रमुख प्रयोगशालाओं में किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में मरीजों के नमूनों का विश्लेषण किया गया।

दिल्ली में किए गए अध्ययन के लिए 2,000 से अधिक मधुमेह से पीड़ित मरीजों के नमूने लिए गए और इनका विश्लेषण किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि 6.5 प्रतिशत से अधिक एचबीए1सी स्कोर वाले 15 प्रतिशत मरीजों में ‘एनटी-प्रोबीएनपी’ का उच्च स्तर देखा गया। ‘एनटी-प्रोबीएनपी’ हृदय गति रुकने की प्रारंभिक जानकारी प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण बायोमार्कर है, जो दिल के रोगों के जोखिम का संकेत देता है। मुंबई में किए गए अध्ययन में 1,054 मधुमेह रोगियों के सैंपल लिए गए। इसके परिणामों से यह निष्कर्ष निकाला गया कि मधुमेह (टी2डीएम) से पीड़ित 34 प्रतिशत मरीजों में हृदय रोग का खतरा बढ़ा हुआ पाया गया।

दोनों अध्ययनों के नतीजे बताते हैं कि मधुमेह से पीड़ित हर चार में से एक मरीज को हृदय गति रुकने का गंभीर खतरा होता है। मुंबई में अध्ययन करने वाले एंडोक्राइनोलॉजी विशेषज्ञों ने यह निष्कर्ष निकाला है कि हृदयाघात का जोखिम मधुमेह के मरीजों में सामान्य लोगों की तुलना में बहुत अधिक होता है।

मधुमेह से हृदयाघात का खतरा क्यों बढ़ता है?
मधुमेह के मरीजों में हार्मोन असंतुलन के कारण शरीर में रक्त शर्करा का स्तर सामान्य से अधिक रहता है। जब रक्त शर्करा का स्तर लंबे समय तक ऊँचा बना रहता है, तो इससे रक्त धमनियों और नसों को नुकसान पहुँचता है, जो दिल के लिए अत्यधिक खतरनाक साबित हो सकता है। उच्च रक्त शर्करा के कारण हृदय की रक्त धमनियाँ संकीर्ण हो जाती हैं और उनमें अवरोध उत्पन्न हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप हार्ट अटैक, स्ट्रोक और किडनी की समस्या जैसे गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं।

हृदय गति रुकना: मधुमेह रोगियों के लिए सबसे गंभीर जोखिमों में से एक
दोनों अध्ययनों के अनुसार, हृदय गति रुकना मधुमेह रोगियों के लिए सबसे गंभीर जोखिमों में से एक है। दिल्ली के डॉ. डेंग्स लैब के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) डॉ. अर्जुन डेंग ने कहा, “यह अध्ययन मधुमेह रोगियों के लिए एक चेतावनी है। विशेषकर शहरी क्षेत्रों में हृदयाघात का जोखिम अधिक देखा गया है। शहरी जीवनशैली, तनाव, और शारीरिक गतिविधियों की कमी मधुमेह रोगियों में हृदय रोगों के खतरे को बढ़ा देती है।”

डॉ. अमेय जोशी ने कहा, “मधुमेह से पीड़ित लोग, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में, हृदय गति रुकने के जोखिम को लेकर अधिक संवेदनशील होते जा रहे हैं। इसलिए मधुमेह रोगियों के लिए नियमित तौर पर हृदय संबंधी जांच कराना आवश्यक है।” उन्होंने सुझाव दिया कि मधुमेह से ग्रस्त लोगों को अपनी जीवनशैली में सुधार लाने, संतुलित आहार लेने और नियमित व्यायाम करने पर विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि हृदय रोगों के खतरे को कम किया जा सके।

इस प्रकार, मधुमेह और हृदय रोग के बीच के इस गहरे संबंध को देखते हुए, यह आवश्यक हो जाता है कि मधुमेह रोगियों को समय-समय पर हृदय संबंधी परीक्षण कराते रहना चाहिए, ताकि संभावित खतरे को समय रहते पहचाना और नियंत्रित किया जा सके।

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