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नवरात्रि का चौथा दिन-देवी कूष्मांडा की पूजा कल, जानें कथा, मंत्र और भोग

शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन देवी कूष्मांडा की पूजा को समर्पित होता है। हालांकि, इस बार चौथा दिन 6 अक्टूबर को नहीं बल्कि 7 अक्टूबर को मनाया जाएगा, क्योंकि चतुर्थी तिथि उदयातिथि से नहीं है। इस कारण मां कूष्मांडा की पूजा एक दिन आगे बढ़ गई है। आइए जानते हैं मां कूष्मांडा की पूजा की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और भोग।

कब है नवरात्रि का चौथा दिन? आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 6 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 49 मिनट से प्रारंभ हो रही है और 7 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 47 मिनट तक समाप्त होगी। इस तिथि के उदयातिथि से न होने के कारण नवरात्रि का चौथा दिन 7 अक्टूबर को माना जाएगा। इसी दिन मां कूष्मांडा की विधिवत पूजा की जाएगी।

मां कूष्मांडा की कथा और पूजा का महत्त्व मां कूष्मांडा को ब्रह्मांड की रचना करने वाली देवी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जब सृष्टि की उत्पत्ति नहीं हुई थी और चारों ओर अंधकार व्याप्त था, तब मां कूष्मांडा ने अपनी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसीलिए उन्हें सृष्टि की आदिस्वरूपा या आदिशक्ति कहा गया है।

मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, जिनमें वे कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृतपूर्ण कलश, चक्र, गदा और जपमाला धारण करती हैं। मां कूष्मांडा पीले रंग को अत्यधिक पसंद करती हैं, इसलिए उन्हें पीले कमल का फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है।

मां कूष्मांडा की पूजा से व्यक्ति को दुख और दरिद्रता से मुक्ति मिलती है और जीवन में खुशियों का आगमन होता है। उनकी पूजा से घर में धन-संपत्ति और सुख-शांति बनी रहती है।

पूजा विधि नवरात्रि के चौथे दिन प्रातःकाल उठकर स्नान करके पूजा की तैयारी करें। पुराने फूल, भोग आदि हटा दें और नए भोग अर्पित करें। मां दुर्गा और उनके स्वरूपों की पूजा करें। मां कूष्मांडा को सिंदूर, फूल, माला, अक्षत, कुमकुम, और रोली चढ़ाएं। मालपुआ का भोग अर्पित करें, क्योंकि यह मां का प्रिय भोग है। इसके साथ ही हरी इलायची और सौंफ भी अर्पित करें।

इसके बाद जल चढ़ाएं, फिर घी का दीपक और धूप जलाकर मां दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। मां कूष्मांडा के मंत्र और स्तोत्र का पाठ करने के बाद अंत में आरती करें और भूल-चूक के लिए क्षमा मांगें।

मां कूष्मांडा के पूजा मंत्र

“सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥”

“या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”

मां कूष्मांडा बीज मंत्र: “ऐं ह्री देव्यै नमः”

नोट: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है और केवल सूचना हेतु दी गई है।भारत टाइम्स न्यूज़ 24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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